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04:12, 20 अप्रैल 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=कस्तूरी कुंडल बसे / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: कविता]]
<poem>
तेरे पास पहुँचने की आशा में
मैं निरंतर चलता जा रहा हूँ
पर तू केंद्र में खडा मुस्कुरा रहा है,
और मैं परिधि के चक्कर लगा रहा हूँ
<poem>