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'देख आँसू प्रभु के नयनों में / गुलाब खंडेलवाल
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04:59, 20 अप्रैल 2017
<poem>
देख
के
आँसू प्रभु
के
नयनों में
रोते हुए विकल पुरवासी लिपट गए चरणों में
सुनकर घोर विकलता छायी
धो दें यह कलंक दुखदायी स्वामी ! शेष क्षणों में '
देख आँसू प्रभु के नयनों में
रोते हुए विकल पुरवासी लिपट गए चरणों में
<poem>
Vibhajhalani
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