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यदि तू कभी इस अरण्य में आयेगा, / गुलाब खंडेलवाल
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05:38, 20 अप्रैल 2017
और उड़-उड़कर तुझे वे टीले
और घाटियाँ दिखायेगी
जहां
जहाँ
मैं थका-हारा सो जाता था,
क्षण भर को तेरी कल्पनाओं में खो जाता था.
यद्यपि वायु-लहरियों से मेरे पद-चिह्न मिट चुके होंगे,
Vibhajhalani
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