गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
प्रथम अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
173 bytes added
,
17:57, 11 जुलाई 2008
::वर आत्म ज्ञान का गूढ़, सत्य है, पर यही वर चाहिए,<br>
::सब प्रलोभन व्यर्थ मुझको , आत्म ज्ञान ही चाहिए॥ [ २९ ]<br><br>
</span>
<br><br>
<span class="upnishad_mantra">
॥ इति काठकोपनिषदि प्रथमाध्याये प्रथमा वल्ली ॥
</span>
सम्यक
KKSahayogi, Mover, Uploader,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
3,794
edits