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12:43, 10 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चैनसिंह शेखावत
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
बेटी तेरी याद आज
बिरखा रै बहानै आई है
अेक तस्वीर पुराणी में
छप-छप करती पाणी में
फ्रॉक पकड़ नै खिल-खिल करती
आंगण बीच न्हाई है
मोतीड़ा बाळां सूं लटकै
गाल फुलावै रूसै खटकै
नकली सी नाराजी मानै
ढबी-ढबी मुळकाई है
आभै निजरां अटकावै
कदै नीं मन री बात बतावै
डबडब नैणा सोन चिड़कली
साथै सांस समाई है
थारै बिन घर नीं घर लागै
थांरी सोचूं, धूंजूं, डर लागै
बड़बोली तू अणबोली क्यूं
किण दरदां मुरझाई है।
</poem>