1,117 bytes added,
11:50, 11 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=उगामसिंह राजपुरोहित `दिलीप'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
घणां सपणां नैणां में सजाय
छोरी जावै सासरै
आपरी दुनियां छोड़ जावै
दूजां री सिंसार बसावण खातर
घणों बा की कोनी चावै
चावै सगळा रो दुलार
भगवान सूं ओहिज अरज करै
मनै देहिजो सूपणां सूं प्यारो सासरो।
नूवीं बींदणी घर आवै
नव दिण होवै चोखो सितकार
पछैवां सांझ लोघर-घवाड़
आंगणो मुस्कावै है जद-जद
बाजै ऊणे पायलड़ी री झणकार
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader