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|रचनाकार=राजेन्द्रसिंह चारण
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|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
पाल्लो काटतां
मिनख नै बीं’रो छोरो
भोलावण दीवी
बाबा ध्यान राखजै
आजकल अठै
सोप-गोइरा
सागै फिरै है।
</poem>
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