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|रचनाकार=राजेन्द्रसिंह चारण
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|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
नूंई चपलां
पेरतां‘ई
सिंझ्या आरती सारू
मिन्दर गियो
सगळा
आरती गावै हा
मैं मिन्नत मांगै हो
हे भगवान!
म्हारी चपलां
लाद जाज्यो
सागी ठौड़।

</poem>
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