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|रचनाकार=सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
मीरां रै मुजब
राख्योड़ी कांफ्रेंस मैं
घणो ही सो‘रो है
जीं रै खातर
पढ़णो रिसर्च पेपर
मीरां रै
देह सूं इतर प्रेम पर
बीं रो
जे बस चालै
तो हरण कर‘र
नोंच-नोंच नाखै
देह सूं भरयोड़ी
अर रूप सूं लदी-फदी
जग री
एक-एक राधा नैं
एक-एक रूकमण नैं...।
</poem>
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