485 bytes added,
02:40, 14 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रचना शेखावत
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
फळसै माथै दिवलो
फगत च्यानणों ई नीं होवै
आ है घर रै भीतर री
अपणायत
चिलकती च्यारूंमेर।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader