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एक सौरम / रचना शेखावत

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|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
एक सौरम सायबा
थारै म्हारै बिचाळै
एक सौरम सायबा
आंगणियै रमतां टाबरियां में।

एक सौरम
जी सा, बूजीसा रै पागै खन्नै
जी आंगणों, सोनै री माटी
च्यानणैं न्हायोड़ो
म्हारो तो
ओ ई बगीचो है।

</poem>
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