Changes

सावण / पृथ्वी परिहार

1,002 bytes added, 02:46, 14 जून 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पृथ्वी परिहार |अनुवादक= |संग्रह=थ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पृथ्वी परिहार
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
हींडा
ऊबल्यां
भायल्यां
आई बातड़ल्यां में
हरख्यो मनड़ो
हरख्यो है सावण।

तीज-त्यूंआर, गणगोरां
भेजै में
घर सो है सावण।

कैर-खेजड़ी, रोहिड़ा
पत्यां-पानका में
सरस्यो है सावण।
जुवार-बाजरी, मोठां-मूंगा
दरात्यां में
पसरयो है सावण।

खेत-ढाणी, चौबारां
गाणींमाणीं
रातां में
बरस्यो है सावण।

</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits