2,268 bytes added,
02:51, 14 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पृथ्वी परिहार
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सावणियैं बायरै में खिलतै
मनभावण होंवतै मौसम में
थारो पग दाब‘र जावणों
जाणै रुकमा गई परी
मांड री सगळी राग
सगळा सुर साथै लेय‘र
अजकाळै म्हारा सुर-संगीत
देस री खेजड़ी नै
भोत अणमणां कर देवै।
थन्नै ओज्यूं खिलणों हो
‘मैपल लीफ़’ माथै लाल रंग बण‘र
सरीर रा गोदणां
मन री पीड़
अणमणै ऊंडै समदर साथै
गावणो हो
जिजीविसा रो कोई नूंओ गीत।
थूं कीं दिन और थमती एमी!
आपां सोधां
नातां में मजबूत डोर
भायलां री रो‘ई में
इच्छावां री घाट्यां
खुस्यां रा डब्बा में
अजीब सो दरद बांटता
इण बगत
समाज रो कोई जोड़ भी
होंवतो आपणै सिस्टम में।
थोर डूंगर
माथै ऊगता
प्रीत सूं ऊंडै मदवै आळा बिरवा
आपां नूंआं सुर रचता
रुकमा अरणीं गांवती
थारै ‘जैज’ री नगरी में
आवणीं ही वसंत री कई और रुतां।
थूं कीं दिन और थमती एमी!
(एमी वाइन हाऊस 22 साल री उमर में अपघात कर लियो हो। मांड गायिका रुकमा गरीबी में पिराण दे दिया हा।)
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader