Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= आनंद कुमार द्विवेदी }} {{KKCatGhazal}} <poem> ज़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= आनंद कुमार द्विवेदी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ज़ख्म है मरहम है या तलवार है,
आदमी हर हाल में लाचार है।

दे रहा है अमन का पैगाम वो,
जिसकी नज़रों में तमाशा प्यार है।

कीमतों का मुद्दआ भर रह गया,
हर कोई बिकने को अब तैयार है।

भाई इसको तो तरक्की न कहो,
मुफ़लिसों के पेट पर यह वार है।

पहले आयी गाँव में पक्की सड़क,
धीरे-धीरे आ गयी रफ़्तार है ।

अपनी-अपनी चोट सबने सेंक ली,
क्या यही हालात का उपचार है ?

क्या शराफ़त काम आएगी भला,
सामने वाला अगर मक्कार है ।

आपकी नाज़ो-अदा थी जो ग़ज़ल,
आजकल ‘आनंद’ का हथियार है ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits