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15:40, 17 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=फुर्सत में आज / आनंद कुमार द्विवेदी
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<poem>
जरा फुर्सत से बैठा हूँ, नज़ारों पास मत आओ
मैं अपने आप में खुश हूँ, बहारों पास मत आओ
सितमगर ने जो करना था किया, मझधार में लाकर
जरा किस्मत भी अजमा लूं, किनारों पास मत आओ
मुझे रस्सी पे चलने का तजुर्बा तो नहीं, लेकिन
मैं फिर भी पार कर लूँगा, सहारों पास मत आओ
मेरी खामोशियाँ बोलेंगी, और वो बात सुन लेगा
जो कहना है मैं कह दूंगा, इशारों पास मत आओ
कई सदियों तलक मैंने भी, काटे चाँद के चक्कर
बड़ी मुश्किल से ठहरा हूँ, सितारों पास मत आओ
महज़ ‘आनंद’ की खातिर , गंवाओ मत सुकूँ अपना
न चलना साथ हो मुमकिन, तो यारों पास मत आओ
</poem>