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|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
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|संग्रह=फुर्सत में आज / आनंद कुमार द्विवेदी
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<poem>
याद में तेरी गुजारा किया मैं रातों को,
अपने ख्वाबों को संवारा किया मैं रातों को !

अपनी किस्मत में मुकम्मल जहान हो कैसे ,
बना - बना के बिगाड़ा किया मैं रातों को !

पास रहकर भी बहुत दूर बहुत दूर हो तुम,
दूर रहकर भी पुकारा किया मैं रातों को !

दर्द तुझमे भी है लेकिन वो किसी और का है,
तेरा वो दर्द दुलारा किया मैं रातों को !

तेरी रुसवाई भी कमबख्त भा गयी मन को,
इसी का लेके सहारा जिया मैं रातों को !

तुने मुझमे भी किसी और की झलक देखी,
तभी से खुद को निहारा किया मैं रातों को !

बड़ा हसीन सा ‘आनंद’ जिंदगी ने दिया,
दर्द पन्नों पे उतारा किया मैं रातों को !!
</poem>
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