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सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके / इब्ने इंशा
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06:54, 18 जून 2017
मन पापी की उजड़ी खेती सूखी की सूखी ही रही
उमडे
उमड़े
बादल गरजे बादल बूँदें दो बरसा न सके
</poem>
Anupama Pathak
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