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कुछ और दोहे / बनज कुमार ’बनज’
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09:33, 18 जून 2017
नहीं बढ़ाना चाहता, परछाईं पर बोझ।
करता हूँ कम इसलिए, क़द अपना हर रोज़।।
फैल रहा है आजकल, घर-घर में ये रोग।
क़द के खातिर कर रहे, एड़ी ऊंची लोग।।
</poem>
अनिल जनविजय
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