865 bytes added,
14:33, 18 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=जरिबो पावक मांहि / आनंद कुमार द्विवेदी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जो प्रेम का नाम लेते हैं,
दुहाई देते हैं,
प्रेम की महिमा का बखान करते हैं
पा लेना चाहते हैं
कुछ न कुछ
किसी न किसी बहाने
मैं वही हतभाग्य हूँ
ईश्वर और प्रेम
एक हैं
एक ही है
इन तक पहुँचने का तरीका
अकारण ... बिना हेतु
'सम्पूर्ण समर्पण' !
</poem>