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15:19, 18 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=जरिबो पावक मांहि / आनंद कुमार द्विवेदी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सोचता हूँ ओढ़ लूं
किसी की हर चुप्पी
हर इनकार
दूरी की हर कोशिश
और हो जाऊँ
उसी की तरह
एकदम सुरक्षित
प्रेम … एक जोखिम तो है ही !
</poem>
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