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आज सडकों पर / दुष्यंत कुमार
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12:16, 28 जुलाई 2006
एक दिरया है यहां पर दूर तक फैला हुआ,<br>
आज अपने
बाज़ुआें
बाज़ुओं
को देख पतवारें न देख।<br><br>
अब यकीनन ठोस है धरती हकी़कत की तरह,<br>
Lalit Kumar
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