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अब बुलाऊँ भी तुम्हें / गोपालदास "नीरज"
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23:49, 6 सितम्बर 2008
अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!!<br><br>
एक भी अरमान रह जाए न मन में,<br>
औ, न
मचे
बचे
एक भी आँसू नयन में,<br>
इसलिए जब मैं मरूं तब तुम घृणा से<br>
एक ठोकर लाश में मेरी लगाना!<br>
अब बुलाऊँ भी तुम्हें...!! <br>
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