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आज सडकों पर / दुष्यंत कुमार

No change in size, 17:12, 7 सितम्बर 2006
पर अंधेरा देख तू आकाश के तारे न देख।<br><br>
एक दिरया दरिया है यहां पर दूर तक फैला हुआ,<br>
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख।<br><br>