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06:34, 25 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
सिकता सोगरा
फळी-काचर रै
छूंक री सौरम
बिलोवणै री घर्राट
मंडती चैपाळ
हेत री बंतळ
मूछ्यां रा मोट्यार
पाग री मरजाद
बात रा रुखाळा
जोध निराळा
रूपाळी कामणगार
सौ‘ळा सिणगार
अळगोजां री तान
बटेऊ रौ मांन....
पोथ्यां मांय तो राखीज्यौ
ओ रंगीलौ राजस्थान।
विकास री चाकी सूं
निसरै रिमिक्स रो चून
धारो मून अर
ल्यो मूंडै मांय
आंम्ही-सांम्ही
बोल्यां...
हो ज्यावो भूंडा।
</poem>
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