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06:44, 25 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=आशा पांडे ओझा
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बखत रे सागै -सागै चालती
आभे कानी पगलिया बढ़ावती
घणी चौखी लागे आ नुवी पीढ़ी
जद आ गावै,नाचे,हरसे,सरसे
उछळ-उछळ बाथियाँ मायं भरे आकास
देख -देख अणारो सुख-आराम
म्हारे काळजा मायं बापरे ठंडक
अर जीव सोरो हु जावै
पण घणी डरूं जद छोरियां
लाज रा गाबा उतार' र
नागी नाचती
बण जावे काठी अंग्रेजी मेंमा
करण लागे अंग्रेजी मायं
गिटरका-मिटरका
आर रंग काडे केसां ने
राता,गुलाबी,चमकीला
अर छोरा तो काठा इज डफळीज ग्या
काना मांय घाल कुड़कलियां
गळा मायं घाल ले कोडी
खंवां तांणी बदाय लेवे झिंटा
अर फैसन रे नाम माथे पैरे
साव फाटियोड़ा गाबा
मोबलिया रा खुणखुणियाऊँ रमता
हवा मायं उड़ावे गाड़ियाँ-गाडूला
लाण मां ने कैवे हाय " बैब"
अर बापड़ा पिताजी ने तो
काठा इज कर काड्या "डैड"
मतलब कै आपणीं ठीमर-ठावकी
सिंसकरती हु री है "डैड"
अर मैं कीं लोग जिका गिणीजां
अणा री निजर मायं गैलसफा
करां हाँ इण अबखे बखत मायं
मायड़ भाषा ने बचावण रो परयास
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