669 bytes added,
18:55, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक परिहार 'उदय'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बेघर हो खुद
निज रा घर
बणावण-बसावण रै
आंधै सुवारथ मिस
आंधै मिनख
उजाड़्या म्हारा घरआळा
खुद री ई मेटी पीड़
म्हारी तो बधाई नीं
बेघर होवण री पीड़
देय'र झपीड़?
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader