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19:14, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मनमीत सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
वो भूलणो चावै
अबार-अबार कटयै
आपरै कनखै नैं
अर लूटणो चावै
एक नूंवों कनखो
वीं री बात और है
पण
म्हैं नीं छोडी है आस
तन्नैं फेरूं पाणैं री
तन्नैं फेरूँ पा ई लेस्यूं म्हैं...
कनखो नीं
कविता होगी है इब थूं।
</poem>
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