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19:15, 27 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मनमीत सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
बाती
एकै कानी सूं जुपै
जद ई सुहावै ज्योत...
म्हारी आ पीढ़ी तो
दोन्यां कानी सूं
जुपा राखी है बाती।
</poem>
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