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07:14, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी
|अनुवादक=
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
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<poem>
रेत रै टीबां मांय
अड़ ‘र ऊभो रूंख
खाली डोको नीं
है जीवण रो साचो नांव
उण रा केई निरवाळा काम
जे दुसमी आवै
ओ रूंख ई बणै हथियार
डोको है
पण डांग नै ई फाड़ै
जीवण रो
अेक मोटो इतियास है
इणरै लारै।
</poem>
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