909 bytes added,
09:47, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आज भूख लागी
कीं खांऊं
मन कर्यो
कांईं खांऊं
आ विचारतां ई
साम्हीं आयो
ताती रोटी रो
घी सूं चिरच्यो
खांड आळो चूरमो
हिंवड़ै री दीठ
व्हीर होयगी
उण चूरमै लारै
बठै तो पड़तख हो
मा थांरो मुंडो!
भूख अर चूरमै बिचाळै
जको कीं भंवै हो
बा ई तो ही
अदीठ ओळ्यूं!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader