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|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी'
|अनुवादक=
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
बै अकाळ रै
नांव सूं ई डरै
पण अै तो
अकाळ नै बुलावण खातर
पूजापाठ करै
बां रै खातर अकाळ है भूंडो
पण आं खातर है लाडेसर
उणरै आवण रै नांव सूं
लुळ -लुळ करै सलाम
कोड रा गीत गावै
लोगां नै भोज करावै
अकाळ आसी
मोकळा पईसा लासी
पईसा आसी
तद ई घर भरीजसी
अेक अकाळ
न्यारा-न्यारा उण रा प्रभाव
किणी नै लागै चोखो
तो
किणी खातर माड़ो
बदळ जावै लोगां खातर
अकाळ रो रूप
ओ तो खाली है
विचारां रो रूप -कुरूप ।
</poem>
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