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10:21, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी'
|अनुवादक=
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
उण दिन गांव मांय
रेलमपेल ही
मोटरां ई मोटरां
खाकी आळा
सूट-कोट मांय अफसर
चौपाळ री हुई ही सफाई
कुरस्यां-सोफा ढळग्या हा।
गांव आळां नै
सरपंचजी
मास्टरजी समझाया -
कांई कैवणो है
कियां हाथ जोड़णा है
फाटयोड़ा गाभां मांय रैवणो है
हर बात री रिहर्सल कराई
समझावण रै सागै
उणां नै धमकाया
डराया
बडा साब आवणा है
मंत्रीजी रो दौरो हो
इण खातर गांव री लाज रैवै
भूंडी बात कोई नीं कैवै।
मंत्रीजी अर साब खातर
ड्राई फ्रूट आया
मिनरल वाटर री बोतलां
ठंडै रो हो इंतजाम
हर चीज पर निजर ही खास
टैम माथै
मंत्रीजी आया,साब आया
चौपाळ लागी
अेक -अेक जणै
सिखायोड़ी बातां बताई
मंत्रीजी री जै बोलाई
बै ड्राई फ्रूट खावता रैया
अकाळ री पीड़ा री
बातां सुणता रैया
मदद रो दिरायो भरोसो
अर बहीर हुयग्या
इण बात नै
तीन महीना हुयग्या
कीं नीं बदळयो
बस, पटवारी अर मास्टरजी रो
परमोसन हुयग्यो
सरपंचजी रो
घर भरीजग्यो
बै कैवै -
अैड़ो अकाळ भगवान करै
सगळां रै आवै।
</poem>