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|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
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|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>

बगत कद चिणाया
किणीं रै
मै'ल-माळिया
बगत तो फगत
बगतो रैयो
आपरी ढाळ
आप ई खस्या
बगत नै थाम
चिणली ईंटां
अर
बणग्या मै'ल-माळिया!

सूत्यां रै तो
बगत माथै
जुड़्या ई नीं
अनघड़ कांकरा
जद कै
बगतै बगत में तो
आप दोन्यूं
साथै ई हा!
</poem>
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