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11:04, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
जड़
ऊंड़ी बड़
आडी पड़ साम्भै
घेर-घुमेरदार रूंख नै!
जड़ रै ताण ई
रूंख करै बांथीड़ा
वायरै सूं अटल
ऊंचो उठ करै
हतायां आभै सूं!
रूंख नै साम्भै जड़
जड़ नै कुण साम्भै
पूछो हेत सूं
कदैई रेत सूं!
</poem>
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