728 bytes added,
11:15, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पाणीं रो टोटो
पण
प्रीत रा पीवै
भर-भर प्याला
म्हारो गांव!
अठै मिटै
जुगां री तिरस
जणांई भंवै मिरग
थळ री देह
सोधता अदीठ जळ
जिण नै पीयां
मिलै मुगती
भव बंधन सूं
म्हारै गांव में!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader