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11:16, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
पाणीं पीयां नीं
पााणी देख-देख
होवै हर्या
जीव-जिनावर
माणस-रूंखड़ा
पान-फूस-घास
म्हारै गांव में!
बिरखा री आस
अटल पाळती
खेवै जड़ां पताळ
जूनी खेजड़ी
बोदी सीवण
उतरै धुर ऊंडी
ऊंडो जळ पीवण
म्हारै गांव में!
</poem>
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