1,043 bytes added,
02:01, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बेटी रै ब्याव में
थे नीं पूग सक्या
पण दोगाचिंती रै बिचाळै
थारी आत्मा झिंझोड़्यो
थारै मनड़ै नै
बुलावै रै बदळै
थारो बान पूगग्यो
थारी हाजरी भुगता दी
थारै बान..
पण हूँ लखायो
जाणै
थे रीत निभाई दिसै
कै बान तो होवै
उधारी हाँती
जठै नीं बणै
बठै भी पड़ै
पुगावणों
थे रीत निभावंता रैया
म्हूँ प्रीत पाळतो रैयो
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader