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02:25, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>
टाबर
कित्ता बोलै सांच
नीं जाणै
बणावटी बातां
जात-पांत
अर
भेदभाव भी
नीं जाणै
टाबर
स्यात जदी हुवै
टाबर
भगवान रौ रूप।
</poem>
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