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समरपण / दीनदयाल शर्मा

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|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>
मा
भैण
जोड़ायत
बेटी

अर
केठा कित्तै रूपां में
थूं
समरपित है

तेरौ जीवण
सगळां सारू
अरपित है

ममता परोसती
प्यार बांटती
थूं
आखर में
बंट ज्यै
पांच तत्वां में

अर
हो ज्यै लीन
ब्रह्म में
बुणती तानोबानौ

हे नारी
तन्नै सगळां रूपां में
पड़्यौ है
जैर रौ घूंट पीणौ

पण
फेर भी
तैं छोड्यौ कोनी
बार-बार जीणौ।

</poem>
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