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03:06, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
}}
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<poem>
जीणौ-मरणौ
नेम है
प्रकृति रा
अर आणौ-जाणौ
रीत निभाणौ
नेम है समाज रा
आओ
आपां दु:ख-सुख
बांटा-बंटावां
अर आपरै भीतर
मिनखपणै री
पौध लगावां।
</poem>
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