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05:20, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
दिवळै री लौ
कम नीं हुवै
अंधारौ मेटण सारू
दिवळै री देह
अर ताकत नै
अंधारौ जाणै
आपां नीं।
</poem>
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