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05:41, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
आपां
बणावां जातपाँत
आपां माना
जातपाँत
आपां
आपणी निजरां में
घणां लूंठा हां
पण टाबर
नीं मानै जातपाँत
टाबर
पिछाणै खाली मिनखपणौ
पण टाबर नै
कुण जाणै !
</poem>
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