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05:45, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
कुण गावै
ब्यांव रा गीत
मन री प्रीत
गीतेरण कुण जोवै
नीं कोई लोवै-तोवै
लोक संस्कृति री
कुण करै चिंत्या
सै' सूकरया है
आप-आपरी चिंत्या में
लोक संस्कृति री चिंत्या
किण नै खासी
आ
किण री पांती में आसी
ठाह कोनी।
</poem>
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