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05:46, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
आपां सगळा
नदयां रै किनारै बस्या
पण
किनारै सूं
आगै नीं बध्या
पेट सूं बेसी
नीं सोच्यौ कदेई
आओ
आपां पुळ बणां
अर मिलावां
उणां नै
जिका
नदी रै किनारां दांईं
नीं मिल्या कदेई।
</poem>
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