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05:46, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
बेटी साल अेक री
होंवतांईं
कदी
लूण झलावै
कदी चक्कू
कदी चिंपियौ
बा
घर-घर खेलै
तद भी
रोट्यां सारू
काम करती दीखै
आखी जूण
काम नै
पैणै दांईं पींती रैवै
फेर भी
मौकै बेमौकै सुणै
बा
जणै-जणै रा ताना
बेटी
कद तांईं सै'सी
बा
आपरै मन री बात
किण नै कै'सी।
</poem>
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