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गजल / गोपीनाथ शर्मा लोहनी
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05:54, 29 जून 2017
गजल् गीत विध्न निक्लन्छन् इमन् जर्वारीया माहां,
कसै निक्नुन्न नाथ् भन्ने कउन् कारण् छ त्यो मुख्मां ।।
('पद्य-संग्रह' बाट)
</poem>
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