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वसन्त ऋतु / सोमनाथ शर्मा सिग्द्याल
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06:04, 29 जून 2017
प्रकृतिको कृतिको महिमा बढ्यो,
निसिपको सिपको सुषमा चढ्यो ।।११।।
('पद्य-संग्रह' बाट)
</poem>
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