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06:30, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
गळ्यां टेडी-मेडी
अर कित्ती संकड़ी है
चालणौ भौत दोरौ है
इणां माथै
पण
बै भी मिनख है
जिका
$खुद बणावै
पगडंडी
बै जठै खड़्या हुवै
लैण बठै सूं सरू हुवै
बा नै लखदाद है
बा नै घणा-घणा रंग
जिका जीतै
बार-बार जंग।
</poem>
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