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06:32, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
नींद में
सुपणां आवै
नीं लेवां
तद भी आवै
खुली आँख सूं
देखूं सुपणां
लागै
घणा सुहावणां
अर
उडाद्यै नींद
सुपणां अर नींद बिचाळै
सूत्यौ - जागतौ
म्हूं सोचूं
सुपणां
आणा चइजै
सुपणां लेणा चाइजै।
</poem>
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