607 bytes added,
06:54, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
डेढ बाई दो रौ
कांच रौ बक्सौ
गिटग्यौ
टाबरां रौ
बाळपणौ
जदी तो
सिंझ्या हुंवतांईं
गांव री गळ्यां
हुय जावै सूनी
अर चौफेर पसरै मून।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader